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औपचारिक रही CWC की बैठक, त्वरित टिप्पणी – हैमंत गौड़

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हैमंत गौड़

आज कांग्रेस की केंद्रीय कार्य समिति (CWC) की बैठक हुई। बैठक महज औपचारिक हो के ही रह गयी। इस बैठक में 5 राज्यो के 824 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन को लेकर चर्चा की जानी थी। गौरतलब हैं कि 824 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस मात्र 70 सीटों पर ही काबिज हो पाई। पार्टी की सबसे बुरी हालत तो पश्चिम बंगाल में हुई जहां 294 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को 1 सीट भी नही मिली। वही दूसरी और केरल में 140 में से 21 व असम में 126 में से 29 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पायी। तमिलनाडु में भी DMK के साथ गठबंधन करने के बाद भी कांग्रेस मात्र 18 सीटों पर सिमट गई, जबकि पुडुचेरी में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गयी।
आज हुई CWC की बैठक में नये राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर थौडा विचार विमर्श भी हुवा लेकिन नेतृत्व की सुई गांधी परिवार के इर्दगिर्द ही घूमती रही। कोरोना संकट का सहारा लेकर नये राष्ट्रीय अध्यक्ष के मुद्दे को कुछ समय के लिए टाल दिया गया। सूत्रों की माने तो राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से इंकार करने पर एकमात्र विकल्प प्रियंका गांधी ही बचता हैं। हालांकि प्रियंका गांधी की मेहनत के बावजूद भी हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुवे चुनावो में कांग्रेस कोई प्रदर्शन नही कर पायी है। UP में कांग्रेस फिर चौथे पायदान पर ही रही। यहां BJP से टक्कर में सपा और बसपा ही रही। गौरतलब हैं कि पंचायत चुनावों में सपा प्रमुख दल के रूप में उभर कर आई है।
बैठक में खुद सोनिया गांधी ने माना कि कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। अगले वर्ष उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोआ में विधानसभा चुनाव होने हैं। CWC को महज औपचारिक बैठक से आने वाले इन 5 राज्यो के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस कुछ खास प्रदर्शन करती नजर नही आ रही है। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की अपनी ढफली अपना राग है। नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन का विवाद किसी से भी छुपा नही है। कैप्टन सिद्धू को न तो उपमुख्यमंत्री और न ही प्रदेशाध्यक्ष बनाने के मूड में है वही दूसरी ओर सिद्धू इससे कम में मानने को तैयार नही है।
इन हालातों CWC की ये दिखावा मीटिंग कांग्रेस को भारी पड़ने वाली है। नेतृत्व की सुई गांधी परिवार के इर्दगिर्द घूमना, वरिष्ठ नेतागण भी G-23 बना कर कन्नी काट रहे हैं या उन्हें हाशिये पर रखने की रणनीति, दोनों ही सूरते कांग्रेस के लिए घातक होने की संभावना है। कांग्रेस के पास अब के सी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला ही फ्रंट लाइन नेता रह गए हैं। कांग्रेस के पास अब वरिष्ठ नेताओं में एकमात्र अशोक गहलोत ही रह गये है। राष्ट्रीय अध्यक्ष यदि गांधी परिवार से बाहर का होता है तो एक मात्र अशोक गहलोत ही वो व्यक्तित्व हो सकते हैं। गांधी परिवार को उनमें विश्वास भी है और
मंझे हुवे मारवाड़ के इस गांधी ने समय समय पर अपनी प्रमाणिकता सिद्ध भी की है। ये ही गहलोत गुजरात विधानसभा चुनावों में BJP को पटखनी दे ही देते यदि सभी समीकरण सही बैठ जाते तो ..
कांग्रेस पूर्ण विपक्ष का नेतृत्व तो करना चाहती है लेकिन अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, मायावती जैसे नेता राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकार करने के पक्ष में नजर नही आते, ऐसे में अशोक गहलोत ही एक सर्वमान्य नेता के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा सकते हैं।
आज की CWC की औपचारिक बैठक में और कुछ निकल कर आया हो या न आया हो पर इतना तो साफ हो गया कि यदि कांग्रेस को विपक्ष का नेतृत्व करना है तो एक मात्र विकल्प अशोक गहलोत ही है।

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